संस्कृत श्लोकों का सौंदर्य और गहराई आपके इंस्टाग्राम प्रोफाइल को एक अनोखा और प्रेरणादायक रूप दे सकते हैं। इन श्लोकों के माध्यम से आप अपने जीवन के सिद्धांत, विचारधारा, और आत्मिक उद्देश्य को प्रकट कर सकते हैं। ज्ञान, एकता, प्रेम, और शांति से जुड़े प्राचीन श्लोक आपके व्यक्तित्व को उजागर करने का एक प्रभावी तरीका हैं। संस्कृत श्लोक न केवल आपको आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित करते हैं, बल्कि आपकी प्रोफ़ाइल को भी एक विशिष्ट पहचान प्रदान करते हैं।

2 Line संस्कृत श्लोक Bio For Instagram

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

धर्मेण हीना: पशवः समाना:।
यथा ह्यधर्मे जीवलोका वसन्ति॥

न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते।
योगसंसिद्धः कालेन आत्मनि विन्दति॥

उद्यमेन हि सिद्ध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः॥

आयुर्वित्तं यशो धर्मः लोकानावृत्तिमेधिनी।
प्राप्त्यर्थमेतत्सर्वस्य साधनं नियमः सदा॥

सुखार्थिनः कुतो विद्या, विद्यार्थिनः कुतः सुखम्।
सुखार्थी वा त्यजेद्विद्यां, विद्यार्थी वा त्यजेत्सुखम्॥

विद्या विवादाय धनं मदाय।
शक्तिः परेषां परिपीडनाय॥

वयं पंचाधिकं शतम्।
अन्योन्यस्य दुर्योधन बलेनापि पराजिता:॥

अनायासेन मरणं विनादैन्येन जीवनम्।
देहान्ते तव सायुज्यं, देहि मे परमेश्वरः॥

सर्वेऽपि सुखिनः सन्तु, सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत्॥

शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्।
स्वस्थस्य स्वास्थ्यरक्षणं धर्मः॥

माता भूमि: पुत्रोऽहं पृथिव्याः।
धर्मो रक्षति रक्षितः॥

अनेकसंशयोच्छेदि परोक्षार्थस्य दर्शकम्।
सर्वस्य लोचनं शास्त्रं यस्य नास्त्यन्ध एव सः॥

धनानि जीवनं चैव परार्थे प्राज्ञ उत्सृजेत्।
सन्नयं याच्यमानस्य न कस्यापि वितीयते॥

सर्वं ज्ञानमयं प्रोक्तं कार्याकाशसमं सदा।
विवेकं शोभते नित्यम् अज्ञानं भविनाशनम्॥

अष्टादशपुराणेषु व्यासस्य वचनं द्वयम्।
परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम्॥

आत्मानं रथिनं विद्धि शरीरं रथमेव तु।
बुद्धिं तु सारथिं विद्धि मनः प्रग्रहमेव च॥

चिन्तनीया हि विपदामादावेव प्रतिक्रिया।
न कुप्यति जलं दृष्ट्वा मृत्तिकां यन्ति नाविकाः॥

अज्ञः सुखमाराध्यः सुखतरमाराध्यते विशेषज्ञः।
ज्ञानलवदुर्विदग्धं ब्रह्मापि नरं न रञ्जयति॥

श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।
स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः॥

संस्कृत श्लोक For Instagram Bio

सत्यमेव जयते नानृतं, सत्येन पन्था विततो देवयानः।

विद्या विवादाय धनं मदाय, शक्तिः परेषां परिपीडनाय।

न चोर हार्यं न च राज हार्यं, न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि।

विवेकः सह संपत्तिः, कार्यसाधकं द्वयम्।

न हि ज्ञानेन सदृशं, पवित्रमिह विद्यते।

क्षणशः कणशश्चैव, विद्यामर्थं च साधयेत्।

उद्यमः साहसं धैर्यं, बुद्धिः शक्तिः पराक्रमः।

अभ्यासेन तु कौन्तेय, वैराग्येण च गृह्यते।

मा तैः फलहेतुर्भूर्, मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।

श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः, परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।

न कालः कस्यचिद् मित्रं, न कालः कस्यचिद् रिपुः।

सुखार्थिनः कुतो विद्या, विद्यार्थिनः कुतः सुखम्।

मनसा वाचा कर्मणा च, महाजनो यत्र गतः स पन्थाः।

विनयस्य फलं रूपं, रूपस्य फलमौन्नतम्।

विद्या मित्रं प्रवासेषु, पत्नी मित्रं गृहेषु च।

अपि स्वर्णमयी लङ्का, न मे लक्ष्मण रोचते।

उद्धरेदात्मनात्मानं, नात्मानमवसादयेत्।

सर्वं परवशं दुःखं, सर्वमात्मवशं सुखम्।

न चोरहार्यं न च राजहार्यं, न भ्रातृभाज्यं न च भारकारी।

संस्कृत श्लोक With Meaning (Hindi Translation)

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
(भगवद गीता 2.47)
अर्थ: तुम्हारा कर्म करने में ही अधिकार है, उसके फलों में कभी नहीं। इसलिए तुम कर्मफल का कारण मत बनो, और न ही कर्म न करने में आसक्ति रखो।

सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःखभाग् भवेत्॥
अर्थ: सब लोग सुखी हों, सब लोग निरोगी हों, सब लोग शुभ देखें और कोई भी दुःख का भागी न हो।

उद्यमेन हि सिद्ध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः॥
अर्थ: कार्यों की सिद्धि (सफलता) केवल उद्यम (प्रयास) से होती है, केवल मन में सोचने से नहीं। सोते हुए सिंह के मुँह में हिरण स्वयं प्रवेश नहीं करते।

विद्या विवादाय धनं मदाय,
शक्तिः परेषां परिपीडनाय।
खलस्य साधोर्विपरीतमेतत्,
ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय॥
अर्थ: दुष्ट व्यक्ति के लिए विद्या केवल वाद-विवाद का साधन है, धन अभिमान का कारण है और शक्ति दूसरों को पीड़ा देने के लिए है। परंतु सज्जनों के लिए यही विद्या ज्ञान के लिए, धन दान के लिए और शक्ति रक्षण (सुरक्षा) के लिए होती है।

माता भूमि: पुत्रोऽहं पृथिव्याः।
अर्थ: यह पृथ्वी मेरी माता है और मैं पृथ्वी का पुत्र हूँ।

धर्मेण हीना: पशवः समाना:।
अर्थ: जो धर्म से रहित है, वह मनुष्य पशुओं के समान है।

न चोरहार्यं न च राजहार्यं,
न भ्रातृभाज्यं न च भारकारी।
व्यये कृते वर्धत एव नित्यं,
विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्॥
अर्थ: विद्या न चोरों द्वारा चुराई जा सकती है, न राजा इसे छीन सकता है, न भाइयों में बांटी जाती है और न ही इसे वहन करने में कोई भार लगता है। खर्च करने पर यह निरंतर बढ़ती है, इसलिए विद्या का धन सभी धनों में श्रेष्ठ है।

विवेकः सह संपत्तिः, कार्यसाधकं द्वयम्।
विवेकहीनः संप्राप्ते विनाशे ध्यायति किम्॥
अर्थ: विवेक और संपत्ति दोनों मिलकर कार्य की सिद्धि करते हैं। विवेकहीन व्यक्ति विनाश आने पर क्या करेगा?

नास्ति विद्या समं चक्षुः, नास्ति सत्य समं तपः।
नास्ति रागसमं दुःखं, नास्ति त्यागसमं सुखम्॥
अर्थ: विद्या के समान कोई आँख नहीं है, सत्य के समान कोई तपस्या नहीं है। राग के समान कोई दुःख नहीं है, और त्याग के समान कोई सुख नहीं है।

असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मा अमृतं गमय॥
अर्थ: मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो, अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो, और मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो।

Short संस्कृत श्लोक For Instagram Bio

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः।

धर्मेण हीनः पशुभिः समानः।

नास्ति बुद्धिरयुक्तस्य न चायुक्तस्य भावना।

सर्वं ज्ञानप्लवेनैव वृजिनं संतरिष्यसि।

न देवा दण्डमादाय रक्षन्ति पशुपालवत्।

न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्।

अश्रद्दधानाः पुरुषा धर्मस्यास्य परन्तप।

निन्दन्तु नीतिनिपुणाः यदि वा स्तुवन्तु।

न हि धर्मेण विनीतो दरिद्रो विप्रियं वदेत्।

क्षिप्रं हि मानुषे लोके सिद्धिर्भवति कर्मजा।

संसारविषवृक्षस्य द्वे एव मधुरे फले।

Short संस्कृत श्लोक With Meaning (Translation)

अहिंसा परमो धर्मः।
Non-violence is the highest duty.
अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है।

सत्यमेव जयते।
Truth alone triumphs.
सत्य की ही विजय होती है।

विद्या धनं सर्वधनप्रधानम्।
Knowledge is the greatest wealth of all.
विद्या सभी धनों में सबसे श्रेष्ठ धन है।

न चोरहार्यं न च राजहार्यं।
It cannot be stolen by thieves, nor taken by kings.
इसे न चोर चुरा सकते हैं, न राजा छीन सकता है।

धर्मो रक्षति रक्षितः।
Dharma protects those who protect it.
धर्म उसकी रक्षा करता है जो धर्म की रक्षा करता है।

श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः।
One’s own duty, though imperfect, is better.
अपने धर्म का पालन, चाहे वह दोषपूर्ण हो, बेहतर है।

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
You have a right to perform your duty, not to the fruits thereof.
तुम्हारा अधिकार सिर्फ कर्म करने में है, फल में नहीं।

उद्यमेन हि सिद्ध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
Work is achieved through effort, not by mere wishes.
कार्य परिश्रम से सिद्ध होते हैं, केवल इच्छाओं से नहीं।

मा तैः फलहेतुर्भूः।
Do not be attached to the fruits of actions.
कर्म के फल से आसक्त मत हो।

वसुधैव कुटुम्बकम्।
The world is one family.
पूरी दुनिया एक परिवार है।

Krishna Sanskrit Shlok For Instagram Bio

सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
(भगवद गीता 18.66)

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
(भगवद गीता 2.47)

यो मामेवमसम्मूढो जानाति पुरुषोत्तमम्।
(भगवद गीता 15.19)

न मे भक्तः प्रणश्यति।
(भगवद गीता 9.31)

मच्चित्तः सर्वदुर्गाणि मत्प्रसादात्तरिष्यसि।
(भगवद गीता 18.58)

यो यं यं तनुम्भक्तः श्रद्धयार्चितुमिच्छति।
(भगवद गीता 7.21)

अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।
(भगवद गीता 9.22)

वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्।
(श्रीमद्भागवत 10.2.18)

त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
(प्रार्थना श्लोक)

अहं सर्वस्य प्रभवो मत्तः सर्वं प्रवर्तते।
(भगवद गीता 10.8)

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
(भगवद गीता 4.7)

पतितानां पावनं वन्दे श्रीकृष्णं करुणासागरम्।
(श्रीकृष्ण स्तुति)

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
(भगवद गीता 4.8)

रासे हृषीकेश हर स्मरारे।
(श्रीमद्भागवत 10.33.39)

मय्येव मन आधत्स्व मयि बुद्धिं निवेशय।
(भगवद गीता 12.8)

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